रामायण के 'हनुमान' बनकर अमर हो गए, 200 किलो के किंग कॉन्ग को रेसलिंग में चटाई धूल -दारा सिंह

Dara Singh: 200 किलो के किंग कॉन्ग को दारा सिंह ने रेसलिंग में चटाई थी धूल, रामायण के 'हनुमान' बनकर अमर हो गए

रुस्तम ए हिंद कहूं या सर्वश्रेष्ठ पहलवान या सर्वश्रेष्ठ मनोरंजनकर्ता। दारा सिंह की आज दसवीं पुण्यतिथि है। दारा सिंह एक ऐसे ग्रैपलर रहे हैं जिन्होंने कभी कोई मैच नहीं हारा। उन्होंने अपने जमाने के पहलवानों को भी मात दी है। दारा सिंह किसी भी इवेंट में शानदार थे, जब वे ग्रैपलर थे और किसी भी इवेंट में जब एक्टिंग की बात आती थी तो उनका कोई जवाब नहीं होता था। 200 किलो के किंग कांग को रौंदने वाले दारा सिंह कई बार वर्ल्ड हैवीवेट चैंपियनशिप के लिए टॉप पर आए हैं। वह कॉमनवेल्थ, वर्ल्ड रेसलिंग, चैंपियन ऑफ मलेशिया की चैंपियनशिप भी घर ले आए।

करीब 500 कुश्ती मैच खेलने वाले दारा एक भी मैच नहीं हारे। उन्हें 1996 में हॉल ऑफ फेम और 2018 में WWE हॉल ऑफ फेम मिला। 1983 में दारा सिंह ने कुश्ती से इस्तीफा दे दिया। अपने अभिनय पेशे की चर्चा करते हुए, उन्होंने 1952 की फिल्म संगदिल से फिल्मों में कदम रखा। दारा कुछ वर्षों तक एक ट्रिक एंटरटेनर रहा, फिर भी उन्हें 1962 में बाबूभाई मिस्त्री की फिल्म किंग कांग से मुख्य भूमिकाएँ मिलने लगीं। 1962 में प्रदर्शित इस फिल्म को बी ग्रेड वर्गीकरण मिला। 

Dara Singh: 200 किलो के किंग कॉन्ग को दारा सिंह ने रेसलिंग में चटाई थी धूल, रामायण के 'हनुमान' बनकर अमर हो गए

 इसके बाद दारा सिंह और मुमताज के सेट ने बैक टू बैक 16 फिल्मों में साथ दिया। इतनी सारी फिल्में बी ग्रेड की थीं और दारा को हर फिल्म के लिए 4 लाख रुपये मिलते थे। लगातार बी ग्रेड फिल्में करने वाले दारा सिंह को जब लोगों ने 1980 में रामानंद सागर के प्रमाणित सीरियल रामायण में देखा तो उन्हें सच्चे राम प्रेमी हनुमान के रूप में देखा जाने लगा। इसी क्रम से दारा की पहचान हनुमान के रूप में हुई। इसके बाद दारा कई काल्पनिक फिल्मों में नजर आए। फिल्म आनंद में दारा राजेश खन्ना के कुश्ती मास्टर बने और जब वी मेट में घर का विशाल प्रवेश द्वार।

दारा सिंह के दो रिश्ते थे। उसके 6 बच्चे हैं। उनकी आखिरी फिल्म दिल अपना पंजाबी थी। उन्होंने कई फिल्में भी बनाई हैं। इसके साथ ही दारा मुख्य एथलीट रहे हैं जिन्हें राज्यसभा के लिए चुना गया है। दारा 2003 से 2009 तक सांसद रहे हैं। 7 जुलाई 2012 को, दारा सिंह को कोरोनरी विफलता का अनुभव हुआ और उपचार के दौरान यह पाया गया कि दिमाग से खून बहने के कारण उन्हें सेरेब्रम क्षति हुई थी। यह जानकर 11 जुलाई को दारा सिंह क्लिनिक से गायब हो गया और कहा कि उसके जीवन में देरी की कोई उम्मीद नहीं है। उदाहरण के तौर पर इसके दूसरे दिन 12 जुलाई 2012 को दारा सिंह ने दुनिया को विदाई दी।   

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