प्रयागराज महाकुंभ में फिल्म जगत की पूर्व अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाए जाने के फैसले पर संत समाज भड़क गया है। कई वरिष्ठ संतों ने इस फैसले पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति को महामंडलेश्वर की उपाधि देने से पहले उसकी पृष्ठभूमि की गहन जांच की जानी चाहिए। उन्होंने दावा किया कि सनातन परंपराओं में इतनी बड़ी उपाधि किसी को भी नहीं दी जा सकती, खासकर बिना जप-तप और साधना के।
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ममता कुलकर्णी |
बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री ने किया विरोध, बाबा रामदेव भी बोले – "संत बनने में लगते हैं 50 साल"
बागेश्वर धाम के प्रसिद्ध संत धीरेंद्र शास्त्री ने भी इस विषय पर अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा, "मैंने आज तक इतनी साधना की, लेकिन मुझे कभी महामंडलेश्वर बनने का सौभाग्य नहीं मिला। यह पद केवल उन्हीं को दिया जाना चाहिए जो धर्म का प्रचार-प्रसार और समाज का मार्गदर्शन करते हों।"
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बाबा रामदेव |
योग गुरु बाबा रामदेव ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी और कहा, "एक दिन में कोई संत नहीं बन सकता। इसके लिए वर्षों की कठोर तपस्या करनी पड़ती है। साधुता प्राप्त करने में हमें 50 साल लगे हैं, और महामंडलेश्वर होना उससे भी बड़ी बात है।" उन्होंने आगे कहा कि आजकल "किसी को भी महामंडलेश्वर बना देना" एक खतरनाक परंपरा बन रही है, जो सनातन धर्म के लिए सही नहीं है।
योगगुरु बाबा रामदेव ने इस मुद्दे पर अपनी आपत्ति जताते हुए कहा, "आजकल किसी को भी महामंडलेश्वर बना दिया जाता है। यह उपाधि एक गहरी साधना और तपस्या के बाद मिलती है। ममता कुलकर्णी के बारे में ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिलता जो उन्हें इस पद के लिए योग्य ठहराए।
ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने पर देवकीनंदन ठाकुर का बड़ा बयान – "अभिनेत्री संत बने तो वाहवाही, संत कथा कहें तो उपेक्षा!"
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देवकीनंदन ठाकुर |
प्रसिद्ध कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने अभिनेत्री ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि जब कोई अभिनेत्री संत बनती है, तो समाज उसकी प्रशंसा करता है, लेकिन जब कोई संत कथा कहता है, तो लोग उसकी ओर ध्यान नहीं देते। यह समाज की भक्ति और अध्यात्म के प्रति सोच को दर्शाता है।
सनातन धर्म की सुरक्षा के लिए 'सनातन बोर्ड' जरूरी – देवकीनंदन ठाकुर
उन्होंने सनातन धर्म और मंदिरों की सुरक्षा को लेकर बड़ा बयान देते हुए कहा कि इसके लिए 'सनातन बोर्ड' का गठन बेहद जरूरी है। इसी विषय पर चर्चा के लिए 27 जनवरी को सेक्टर-17 स्थित शांति सेवा शिविर में आयोजित होने वाली सनातन धर्म संसद में भाग लेना आवश्यक है।
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क्या यह सिर्फ पब्लिसिटी स्टंट है? किन्नर संतो ने भी उठाए सवाल
जगतगुरु हिमांगी सखी, जो खुद एक किन्नर संत हैं, ने भी इस फैसले का विरोध किया। उन्होंने कहा कि "किन्नर अखाड़े ने यह सिर्फ पब्लिसिटी के लिए किया है। समाज को ममता कुलकर्णी का अतीत पहले से पता है। वह अचानक महाकुंभ में आती हैं और उन्हें महामंडलेश्वर बना दिया जाता है – यह संदेहास्पद है। इसकी गहन जांच होनी चाहिए।"
क्या ममता कुलकर्णी की महामंडलेश्वर पदवी बरकरार रहेगी?
संत समाज की कड़ी आपत्तियों के बावजूद किन्नर अखाड़े ने अभी तक अपने फैसले को वापस नहीं लिया है। सवाल उठता है कि क्या ममता कुलकर्णी की महामंडलेश्वर पदवी बरकरार रहेगी, या फिर संत समाज के विरोध के चलते इस फैसले पर पुनर्विचार किया जाएगा?
इस पूरे विवाद पर आपकी क्या राय है? क्या ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाए जाने का फैसला सही है, या यह सिर्फ एक पब्लिसिटी स्टंट है? अपनी राय कमेंट में जरूर दें!
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