नागपुर के इस जोड़े ने हवा में उगाया कश्मीरी केसर, सालाना कमाई 50 लाख रुपये!

नागपुर के अक्षय होले और दिव्या होले ने हवा में कश्मीरी केसर उगाकर 50 लाख रुपये सालाना की कमाई शुरू की। एरोपोनिक तकनीक से बिना मिट्टी और पानी के खेती की अनोखी कहानी।


अक्षय होले और दिव्या होले

 गर्म नागपुर में ठंडे कश्मीर का जादू


कश्मीरी केसर की खेती का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में ठंडी वादियों की तस्वीर उभरती है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि भारत के सबसे गर्म शहरों में से एक, नागपुर में भी केसर उगाया जा सकता है? वो भी बिना मिट्टी और पानी के! जी हां, नागपुर के अक्षय होले और उनकी पत्नी दिव्या होले ने यह करिश्मा कर दिखाया है। इस जोड़े ने एरोपोनिक तकनीक का इस्तेमाल कर अपने 400 वर्ग फीट के कमरे में कश्मीर जैसा माहौल बनाया और आज सालाना 50 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं। उनकी यह कहानी न सिर्फ प्रेरणादायक है, बल्कि खेती के क्षेत्र में एक नई क्रांति की शुरुआत भी करती है।


  कैसे शुरू हुई यह अनोखी यात्रा?


अक्षय होले, जो बीबीए ग्रेजुएट हैं, और उनकी पत्नी दिव्या होले, जो एक बैंकर हैं, ने साल 2020 में कुछ नया करने की ठानी। उन्होंने देखा कि भारत में केसर की मांग बहुत ज्यादा है, लेकिन इसका उत्पादन बेहद कम होता है। अक्षय कहते हैं, "हमने सोचा कि क्यों न ऐसा कुछ करें जो महंगा हो, मांग में हो, और देश में कम पैदा होता हो।" इसके बाद इस जोड़े ने डेढ़ साल तक रिसर्च की और एरोपोनिक तकनीक पर काम शुरू किया।


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उन्होंने कश्मीर की यात्रा की, जहां उन्होंने ढाई साल में साढ़े तीन महीने बिताए। वहां के किसानों से पारंपरिक केसर की खेती सीखी और फिर इसे तकनीक के साथ जोड़ने का फैसला किया। शुरुआत में उन्होंने सिर्फ 1 किलो केसर के बीज (कॉर्म्स) खरीदे और अपने घर की छत पर 80 वर्ग फीट की छोटी यूनिट लगाई। पहली बार में कुछ ग्राम केसर ही मिला, लेकिन यह सफलता उनके लिए हौसले की पहली सीढ़ी बनी।


  एरोपोनिक तकनीक: मिट्टी और पानी के बिना खेती


आप सोच रहे होंगे कि बिना मिट्टी और पानी के केसर कैसे उग सकता है? इसका जवाब है एरोपोनिक तकनीक। इस तकनीक में पौधों की जड़ें हवा में लटकी रहती हैं और उन्हें पोषक तत्वों से भरी धुंध (मिस्ट) के जरिए पोषण मिलता है। अक्षय और दिव्या ने अपने फ्लैट के 400 वर्ग फीट के कमरे में कश्मीर जैसा ठंडा और सूखा माहौल बनाया। इसके लिए उन्होंने तापमान नियंत्रण यूनिट, ह्यूमिडिफायर और सोलर पावर का इस्तेमाल किया।


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उनका सेटअप इतना टिकाऊ है कि मशीनें 20-25 साल तक चल सकती हैं। सबसे खास बात यह है कि इसमें बिजली का खर्चा शून्य है, क्योंकि वे सोलर पावर का उपयोग करते हैं। साथ ही, इसमें न तो उर्वरक की जरूरत पड़ती है और न ही मजदूरों की। सब कुछ यह जोड़ा खुद संभालता है।



 निवेश और कमाई:55 लाख से 1.3 करोड़ की उड़ान


इस जोड़े ने अपने इस सपने को हकीकत में बदलने के लिए शुरुआत में 55 लाख रुपये का निवेश किया। पहले साल छोटे पैमाने पर उत्पादन हुआ, लेकिन जैसे-जैसे वे आगे बढ़े, उनकी मेहनत रंग लाई। आज वे 480 वर्ग मीटर की दो जगहों पर खेती करते हैं, जिसमें से एक 400 वर्ग फीट का सेटअप उनके हिंगना फ्लैट में है। पिछले दो सालों में उनकी सालाना कमाई 40 से 50 लाख रुपये के बीच रही है।


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5 साल में कुल 1.3 करोड़ रुपये की कमाई के साथ उनका मुनाफा 80% तक रहा। उनका केसर कश्मीर के सैफरन इंस्टीट्यूट द्वारा ग्रेड किया जाता है और 630 रुपये प्रति ग्राम की कीमत पर बिकता है। पिछले साल उनकी और उनके पार्टनर यूनिट्स की कुल पैदावार 45 किलोग्राम रही।


 

 दूसरों को राह दिखाते हुए


अक्षय और दिव्या की सफलता सिर्फ उनकी अपनी नहीं है। वे अब दूसरों को भी इस राह पर ले जा रहे हैं। उन्होंने अब तक 150 लोगों को ट्रेनिंग दी है, जिसमें से 29 लोग महाराष्ट्र में अपनी खुद की केसर यूनिट्स चला रहे हैं। ट्रेनिंग के लिए वे प्रति व्यक्ति 15,000 रुपये चार्ज करते हैं और यूनिट शुरू करने में मदद करते हैं। इसके बाद वे तैयार केसर को खरीदकर पैकेजिंग और मार्केटिंग भी करते हैं।


100 वर्ग फीट की यूनिट लगाने में करीब 10 लाख रुपये का खर्च आता है, जो सालाना 5 लाख रुपये की कमाई दे सकती है। यह मॉडल न सिर्फ किफायती है, बल्कि शहरी खेती के लिए भी क्रांतिकारी है।


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नई तकनीक का कमाल: एरोपोनिक्स ने साबित कर दिया कि पारंपरिक खेती की सीमाओं को तोड़ा जा सकता है।

सस्टेनेबल मॉडल: सोलर पावर और कम खर्चे के साथ यह पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है।

प्रेरणा का स्रोत: एक साधारण जोड़े ने गर्म शहर में कश्मीरी केसर उगाकर असंभव को संभव बनाया।

आर्थिक प्रभाव: यह न सिर्फ उनकी जिंदगी बदली, बल्कि कई और लोगों के लिए रोजगार का जरिया बना।


 निष्कर्ष: खेती का भविष्य है एरोपोनिक्स


अक्षय और दिव्या होले की यह कहानी बताती है कि अगर हौसला और तकनीक का सही इस्तेमाल हो, तो कोई भी सपना हकीकत बन सकता है। नागपुर जैसे गर्म शहर में कश्मीरी केसर उगाना और उससे 50 लाख रुपये की कमाई करना कोई छोटी बात नहीं है। यह जोड़ा न सिर्फ अपनी जिंदगी को नई ऊंचाइयों पर ले गया, बल्कि दूसरों के लिए भी एक मिसाल कायम कर रहा है।


अगर आप भी खेती में कुछ नया करना चाहते हैं, तो इनसे प्रेरणा लें। क्या पता, आपकी कहानी भी अगली वायरल स्टोरी बन जाए!


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